प्रधानमंत्री
नरेन्द्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस को लाल किले से मिशन सुदर्शन चक्र की घोषणा करके
भारतीय सामरिक शक्ति की मजबूती तथा सक्षमता का विश्वास व्यक्त किया. सुदर्शन चक्र
देश की वायु रक्षा प्रणाली को मजबूती प्रदान करने के साथ-साथ नागरिकों की सुरक्षा
को भी मजबूत बनाने का कार्य करेगा. भगवान श्रीकृष्ण के सुदर्शन चक्र से जोड़ते हुए
मिशन को आधुनिक रक्षा नवाचारों में मार्गदर्शन के साथ-साथ भारतीय सांस्कृतिक और
पौराणिक विरासत से प्रेरणा लेने वाला बताया जा रहा है. यह अपने आपमें सुखद है कि
सुदर्शन चक्र अभियान को एक तरफ देश की पौराणिक, सांस्कृतिक धरोहर से जोड़ा जा रहा है वहीं यह देश की एक प्रमुख
स्ट्राइक कोर से भी जुड़ा हुआ है. भारत की प्रमुख स्ट्राइक कोर 21 को भी सुदर्शन
चक्र के नाम से जाना जाता है.
सुदर्शन चक्र प्रोजेक्ट के पहले चरण में कम और मध्यम दूरी के लिए परीक्षण का कार्य भी सफलतापूर्वक सम्पन्न कर लिया गया है. परीक्षण के पहले चरण में भारतीय रक्षा अनुसन्धान संगठन (डीआरडीओ) ने ओड़िशा के तट पर इंटीग्रेटेड एअर डिफेंस वेपन सिस्टम (आइएडीडब्ल्यूएस) का सफल परीक्षण किया. अगले दस वर्षों में निर्मित होने वाला यह स्वदेशी सुरक्षा तंत्र न केवल सुरक्षा चक्र का काम करेगा बल्कि दुश्मन के हमलों को नाकाम करते हुए उन पर पलटवार भी करेगा. स्पष्ट है कि आगामी दस वर्षों में अर्थात 2035 तक देश के प्रमुख स्थलों, सामरिक और नागरिक क्षेत्रों को तकनीकी के अत्याधुनिक स्वरूप से सुसज्जित सुरक्षा कवच प्रदान किया जाएगा. इंटीग्रेटेड एअर डिफेंस वेपन सिस्टम अर्थात आइएडीडब्ल्यूएस वह रक्षा प्रणाली है जो एक दिशा में कार्य न करते हुए समग्रता में कार्य करेगी. इसके द्वारा किसी भी दुश्मन देश द्वारा एक साथ छोड़े गए अनेकानेक ड्रोन हमलों के विरुद्ध जवाबी कार्यवाही की जा सकेगी. दुश्मन के ऐसे किसी भी हमले के लिए यह रक्षा प्रणाली कवच की तरह कार्य करते हुए हमलों को नाकाम करेगी. व्यापक रूप से वायु रक्षा प्रदान करने के लिए इस प्रणाली को रडार, मिसाइल, कमांड-कंट्रोल यूनिट के द्वारा लक्ष्य को सटीक रूप से चुनने, उस पर निशाना साधने के सन्दर्भ में निर्मित किया जा रहा है. सुदर्शन चक्र मिशन में कम दूरी और मध्यम दूरी के लिए आइएडीडब्ल्यूएस, आकाश मिसाइल, सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल, लेजर हथियार आदि को पूर्ण स्वदेशी तकनीक से देश में ही तैयार किया जा रहा है.
विगत लम्बे समय से
वैश्विक सुरक्षा की स्थितियों, सामरिक वातावरण, भू-राजनीतिक परिदृश्य में जिस तरह
के बदलाव देखने को मिल रहे हैं, उसमें सुरक्षा तंत्र का, सुरक्षात्मक प्रणालियों का विशेष महत्त्व बढ़ता जा रहा है. दो देशों के
मध्य आपसी तनाव बढ़ने की स्थिति में, युद्ध की स्थिति में अब
देखने में आ रहा है कि ड्रोन, मिसाइल के हमले आम बात हो गई
है. विश्व भर में चल रहे अनेक युद्धों, देशों के आपसी तनाव
के दौरान किये जाने वाले हमलों में इनका चलन बढ़ा ही है. अभी हाल ही में ऑपरेशन
सिन्दूर के दौरान देखने में आया था कि पाकिस्तान की तरफ से अनेक ड्रोन, मिसाइल ने केवल सैनिक क्षेत्रों में बल्कि नागरिक इलाकों में भी छोड़ी
गईं. आने वाले समय में जबकि तनाव, सीमा-विस्तार, आतंकवाद, भू-राजनीतिक स्थितियों आदि के चलते
विवादों को कम होने के बजाय बढ़ना ही है, युद्ध की आशंका सदैव
बनी ही रहनी है तब मिसाइल, ड्रोन हमलों के भी बढ़ जाने की आशंका रहेगी. ऐसे में
आवश्यक है कि न केवल सामरिक क्षेत्र बल्कि नागरिक क्षेत्र भी सुरक्षित रहें. सुदर्शन
चक्र मिशन का मूल उद्देश्य यही है कि आने वाले समय देश के न केवल सामरिक इलाकों को
बल्कि रिहायशी क्षेत्रों को भी सुरक्षात्मक रूप से मजबूत बनाया जाये. वर्तमान
यौद्धिक स्थिति को देखते हुए विश्व के अनेक देशों द्वारा इस तरह की रक्षा प्रणाली
को अपनाया जा रहा है. इजरायल की आयरन डोम प्रणाली को इसी सन्दर्भ में सदैव
रेखांकित किया जाता है. इस सुरक्षा प्रणाली के महत्त्व को देखते हुए अमेरिका के
राष्ट्रपति ट्रम्प ने भी गोल्डन डोम प्रणाली को तैयार करवाने की घोषणा की.
वर्तमन दौर में
युद्ध केवल मैदान पर ही नहीं लड़ा जाता है बल्कि तकनीक के साथ मैदान के बाहर से भी
संचालित किया जाता है. यही कारण है कि युद्ध जैसी स्थिति में दुश्मन देश के द्वारा
केवल सैनिक प्रतिष्ठानों को ही निशाना नहीं बनाया जाता है बल्कि बिजली व्यवस्था, ग्रिड, संचार
साधनों, खाद्य आपूर्ति, यातायात, स्वास्थ्य सुविधाओं आदि को भी निशाना बनाया जाता है. ऐसा करने के पीछे
दुश्मन की मानसिकता समूची व्यवस्था को पंगु बना देना होता है. युद्धकाल में अथवा
किसी भी तरह की तनाव जैसी स्थिति में इस तरह की विषम से देश को बचाने के लिए
सुदर्शन चक्र जैसी सुरक्षा प्रणाली की, एक सुरक्षा कवच की
महती आवश्यकता है. यद्यपि सुदर्शन चक्र मिशन का अभी पहला चरण ही सफलतापूर्वक
सम्पन्न हुआ है तथापि आने वाले दस वर्षों में इसके द्वारा दुश्मन के मिसाइल-ड्रोन
हमलों का जवाब देने, साइबर हमलों को निष्प्रभावी बनाने,
हैकिंग के खतरों को दूर करने आदि का कार्य पूर्ण क्षमता के साथ किया जाना सम्भव हो
सकेगा.
स्वतंत्रता
पश्चात् देश ने अनेक युद्धों का, दुश्मन देश के आतंकी हमलों का, आतंकवादी वारदातों
का मुँहतोड़ जवाब दिया है. इन विषम स्थितियों में भारतीय सेना ने, यहाँ के वीर सैनिकों ने अपने अदम्य
साहस से देश का सिर सदैव ऊँचा ही रखा है. लगातार विषम परिस्थितियों से संघर्ष करते
हुए भारतीय सैन्य क्षमता ने स्वयं को सदैव और अधिक मजबूत बनाया है. अब जबकि
सुदर्शन चक्र जैसा सुरक्षा तंत्र अपने प्रभावी रूप में कार्य करने के लिए
व्यावहारिक रूप धारण कर चुका है तो निश्चित ही यह अत्याधुनिक तकनीक, सशक्त सुरक्षा प्रणाली के द्वारा भारतीय सामरिक ढाँचे का प्रमुख आधार
बनेगा.
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