प्रकाश ऊर्जा का विज्ञान

अभी दीपक जलाने को लेकर तमाम विश्लेषण हो रहे हैं क्योंकि प्रधानमन्त्री जी ने दीपक जलाने को कहा हैमुझे अपनी 2015 की इस सम्बंध में शेयर की गई पोस्ट और दीपक की ऊर्जा के सम्बंध में प्रकाशित शोध को दोबारा यहाँ रखना उपयुक्त लगा.

डॉ० अभिलाषा द्विवेदी 

प्रकाश ऊर्जा का विज्ञान
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दीपवाली पर घीतेल के दीये क्यों जलाते हैंपूजा के लिये भी दीया जलाने का विधान क्यों हैहम वर्षों से इसे मानते आ रहे हैं पर दीया जलाने के पीछे क्या प्रभाव होता है और किस चीज का दीपक जलाने से कैसी ऊर्जा उत्पन्न होती है. आइए इसके पीछे का विज्ञान एक शोध से समझते हैं?

हिन्दू धर्म के वैदिक नियम अकारण नहीं बनाये गये. इसे दोबारा समझने के लिये वैज्ञानिक उपकरणों के साथ कुछ शोध किये जा रहे हैं. Policontrast Interference Photography (PIP) के द्वारा परीक्षण में जो परिणाम सामने आये थेवो मैं साझा करना चाहती हूं, जो हम सभी को जानना चाहिये.

सबसे पहले यह बता दूँ कि ये Policontrast Interference Test होता क्या है? किसी भी ऊर्जा का अपना एक रंग होता हैवह ऊर्जा जो जीववस्तुवातावरण सभी के इर्द गिर्द होती हैजिसे हम आभामंडल (Aura) कहते हैं. PIP कैमरा के माध्यम से उस ऊर्जा की तस्वीर ली जाती है. अधिक ज़ानकारी आप internet पे देख सकते हैं.

दीये की ऊर्जा पर भी शोध हुये हैं. मेरे पास आध्यत्म विश्वविद्यालय गोवा में संपादित किए गए अध्ययन का शोध पत्र है. फिलहाल वो समझने के लिये पर्याप्त होगा. इस शोध में घी के दीयेतेल के दीये और मोमबत्ती के प्रकाश से वातावरण की ऊर्जा पर क्या असर पड़ा और इन तीनों के aura का अध्ययन किया गया था और परिणाम देखे गए थे. जिसमें पाया गया कि घी का दीया वातावरण की नकारात्मक ऊर्जा को कम करने में सबसे अधिक प्रभावी है. तेल का दीपक नकारात्मक ऊर्जा कम तो करता है लेकिन तमस उत्सर्जित करता हैइस कारण इसे रात के समय ही जलाने का विधान है. मोमबत्ती का नकारात्मक ऊर्जा कम करने में पर कोई विशेष प्रभाव नहीं दिखा. यह कॉस्मिक वेव्स को सीमित करता है और स्वतंत्र विचारों को नियंत्रित करने में सहायक होता है. सम्भवतः यही कारण होगा कि candle light dinner कोई प्रणय प्रस्ताव हेतु उपयुक्त माना जाता है.

आप भी इन कर्मकांडों के पीछे के वैज्ञानिक आधार को समझें और अपनी वैदिक मान्यताओं पर तर्कसंगत विश्वास कर पालन करें. शेषभ्रामक जानकारीमिथ्या प्रचार वाले कथित स्वघोषित साइंटिस्ट्स के कारण तथ्योंशोधों का भी मजाक बन जाता है. वास्तविक जानकारी बहुत पीछे छूट जाती है, यह दुर्भाग्यपूर्ण है.

फ़िलहाल के लिए प्रदोष का दीपक जलायें. जिन्हें लाभ नहीं भी दिख रहा होविश्वास करें कि इससे हानि तो बिल्कुल भी नहीं होगी. जितना हमें पता हैसृष्टि में उससे कहीं अधिक है जो आधुनिक विज्ञान की पहुंच से दूर है पर यकीनन उनका अस्तित्व और प्रभाव है. 

डॉ० अभिलाषा द्विवेदी की फेसबुक पोस्ट से साभार  



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