बुन्देलखण्ड समृद्ध है दाल-चावल-गेंहू में

जबसे उत्तर प्रदेश सरकार ने बुन्देलखण्ड राज्य के प्रस्ताव की चर्चा की है तबसे बुन्देलखण्ड के लिए संघर्ष कर रहे लोगों के साथ-साथ आम आदमी को भी इस बात का विश्वास हो चला है कि अब वो दिन दूर नहीं जब अलग राज्य के रूप में बुन्देलखण्ड का नाम देश के नक्शे पर दिखाई देगा। हालांकि जो लोग इसके आन्दोलन से जुड़े हैं और जो लोग इसके आन्दोलन से दूर हैं वे कहीं न कहीं किसी न किसी प्रकार की आशंकाओं से ग्रसित हैं। हम स्वयं भी तमाम सारी आशंकाओं की चर्चा आन्दोलन के अपने साथियों से करते रहते हैं।

आशंकायें निर्मूल भी हो सकती हैं और नहीं भी। इनको दूर करने के उपाय भी सोचे जाने लगे हैं और उनको क्रियान्वित करने की भी तैयारी होने लगी है। इन्हीं आशंकाओं के मध्य एक आशंका बुन्देलखण्ड की कृषि व्यवस्था को लेकर सामने आई है। यह हम सभी भली-भांति जानते हैं कि बुन्देलखण्ड अत्यधिक गर्म क्षेत्र के रूप में जाना जाता है। देखा जाये तो इस क्षेत्र में भली प्रकार से एक वर्ष में एक ही फसल आ पाती है। इसके बाद भी यहां के कर्मठ और जुझारू किसान वर्ष भर में अधिक से अधिक कृषि फसल का उत्पादन करने की क्षमता रखते हैं और इस दिशा में काम भी करते हैं।

समूचे बुन्देलखण्ड में 25,48,298 हेक्टेयर भूमि कृषि योग्य है और इसके एक लाख पनचानवे हेक्टेयर कृषि भूमि में रबी और खरीफ की फसल ही हो पाती है। सिंचाई के साधनों की अपर्याप्तता, नहरों, नदियों के पानी की दूसरे राज्यों में अथवा उत्तर प्रदेश के ही दूसरे भाग में चले जाना, बुन्देलखण्ड में लगातार भूगर्भ जलस्तर का गिरना भी कृषि कार्य को प्रभावित करता है। इसके बाद भी गेंहू, चना आदि के साथ-साथ चावल की पैदावार तथा अन्य फुटकर दालों का उत्पादन आशान्वित करता है।

इन सभी खाद्य पदार्थों के उत्पादन और खपत के आंकड़ों को निम्न सारणियों द्वारा आसानी से समझा जा सकता है।

सारणी-1

गेंहू

स्थान

उत्पादन-मी0टन में

खपत-मी0टन में

झांसी

2,40,000

2,28,000

जालौन

3,70,251

2,50,000

ललितपुर

1,91,074

1,23,000

हमीरपुर

1,30,023

1,32,000

महोबा

1,06,844

1,17,354

बांदा

2,10,958

2,80,000

चित्रकूट

86,467

99,990

योग

13,35,617

12,30,344

गेंहू की पैदावार और उसकी खपत के उक्त आंकड़ों को देखने से भली-भांति ज्ञात होता है कि बांदा और चित्रकूट के अलावा बाकी सारे जिलों में गेंहू का उत्पादन खपत से कहीं अधिक होता है और बुन्देलखण्ड राज्य के बाद इसका अवशेष खाद्य पदार्थ शेष दो जिलों की आपूर्ति में सहायक सिद्ध होगा। यदि गेंहू के कुल उत्पादन और खपत को देखें तो इस क्षेत्र में गेंहू के कुल उत्पादन 1335617 मी0 टन की तुलना में कुल खपत 1230344 मी0 टन है अर्थात इस क्षेत्र में 1,05,273 मी0 टन गेंहू निर्यात करने की स्थिति में शेष बचता है।

सारणी-2

चावल

स्थान

उत्पादन-मी0टन में

खपत-मी0टन में

झांसी

2911

8307

जालौन

519

6875

ललितपुर

2203

4554

हमीरपुर

683

3770

महोबा

784

3050

बांदा

75,917

8000

चित्रकूट

12,356

3978

योग

95,373

38,534

बुन्देलखण्ड के ज्यादातर जिलों में चावल की खपत उत्पादन की तुलना में बहुत अधिक है। मात्र दो जिले बांदा और चित्रकूट ही ऐसे हैं जहां का उत्पादन खपत की तुलना में कहीं अधिक है। यदि बुन्देलखण्ड के सभी जिलों के सम्पूर्ण उत्पादन और खपत का आकलन करें तो ज्ञात होगा कि यहां चावल का कुल उत्पादन 95373 मी0 टन होता है और इसकी तुलना में खपत 38534 मी0 टन होती है। भले ही बुन्देलखण्ड के सात में से पांच जिलों में चावल की खपत उत्पादन के मुकाबले बहुत अधिक रही हो किन्तु इसके बाद भी इस क्षेत्र में सम्पूर्ण खपत के बाद 56,839 मी0 टन चावल निर्यात करने की दृष्टि से शेष रहता है। कुल मिलाकर बुन्देलखण्ड क्षेत्र चावल के मामले में भी पिछड़ा साबित नहीं होता है।

सारणी-3

चना

स्थान

उत्पादन-मी0टन में

खपत-मी0टन में

झांसी

40,908

70,107

जालौन

60,693

60,899

ललितपुर

49,095

53,545

हमीरपुर

54,954

59,405

महोबा

63,068

56,444

बांदा

87,255

63,710

चित्रकूट

42,709

44,000

योग

3,98,682

4,08,110

चने की पैदावार का विश्लेषण करने पर आसानी से समझ में आता है कि यहां पर उत्पादन की तुलना में खपत अधिक है पर इन दोनों के मध्य इतना बड़ा अन्तर नहीं है कि इसे समाप्त न किया जा सके अथवा कम न किया जा सके। बुन्देलखण्ड क्षेत्र में कुल उत्पादन और खपत के मध्य 9428 मी0 टन का अन्तर दिखाई देता है जिसे किसी भी रूप में ऐसा नहीं माना जा सकता जो चिन्ताजनक हो।

सारणी-4

अन्य दालें

स्थान

उत्पादन-मी0टन में

खपत-मी0टन में

झांसी

2,41,408

2,03,444

जालौन

2,76,371

1,97,754

ललितपुर

1,98,803

1,93,000

हमीरपुर

1,46,430

1,32,710

महोबा

1,66,878

1,71,954

बांदा

आंकड़े अनुपलब्ध

आंकड़े अनुपलब्ध

चित्रकूट

78,291

99,413

योग

11,08,181

9,98,275

बुन्देलखण्ड क्षेत्र के सातों जिलों से अन्य दालों के जो आंकड़े प्राप्त हुए हैं उनमें बांदा जिले के आंकड़े प्राप्त नहीं हो सके हैं इसके बाद भी शेष छह जिलों में उत्पादन यहां पर हो रही खपत से कहीं अधिक है। बांदा के अतिरिक्त सभी जिलों का कुल उत्पादन 11,08,181 मी0 टन और खपत 9,98,275 मी0 टन है अर्थात बुन्देलखण्ड दालों के मामले में किसी भी रूप में पिछड़ा सिद्ध नहीं होता है। इस क्षेत्र में दालों के उत्पादन का 1,09,906 मी0 टन निर्यात के लिए भी सुरक्षित रखा जा सकता है।

कुल मिलाकर स्थिति वर्तमान में यह स्पष्ट है कि राजनैतिक विद्वेष की भावना से बुन्देलखण्ड को लगातार पिछड़ा साबित करने के कुकृत्य विभिन्न मंचों से और विभिन्न राजनैतिक दलों द्वारा किये जाते रहे हैं। कृषि सम्बन्धी आंकड़े कुछ और ही कहानी प्रदर्शित कर रहे हैं। आज जबकि प्रदेश सरकारों द्वारा इस क्षेत्र की ओर विशेष ध्यान नहीं दिया गया तब यहां की कृषि का उत्पादन इस तरह से विकसित रूप में दिखता है; स्पष्ट है कि पृथक राज्य के रूप में बुन्देलखण्ड की कृषि और विकास करेगी। इसके साथ यह तो स्पष्ट होता है कि अलग राज्य बनने के बाद इस क्षेत्र के जीवट लोगों को रोटी-दाल-चावल आसानी से उपलब्ध होते रहेंगे। आइये बुन्देलखण्ड निर्माण के लिए एक आवाज बनें और विकास की राह प्रशस्त करें।

जय बुन्देलखण्ड

विशेष - सभी आंकड़े मीट्रिक टन में हैं तथा समस्त आंकड़े अमर उजाला, कानपुर के बुन्देलखण्ड संस्करण, पृ0 9, दिनांक-25 नवम्बर 2011, शुक्रवार से साभार लिये गये हैं।

डॉ0 कुमारेन्द्र सिंह सेंगर

निदेशक एवं सम्पादक

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