इस ब्लॉग को बनाये कई दिन हो गए और किसी तरह की पोस्टिंग नहीं की जा सकी। आज इस समय के सबसे संवेदनशील विषय पर कुछ जानकारी देने का प्रयास है। शुरुआत कन्या भ्रूण हत्या जैसे घिनौने परन्तु संवेदनशील मुद्दे से करते हैं क्योंकि आज इसी विषय पर जानकारी का आभाव है।
कन्या भ्रूण हत्या निवारण हेतु महत्वपूर्ण जानकारियां
भारत में लिंगानुपात
1901--------- 972
1911--------- 964
1921--------- 955
1931--------- 950
1941--------- 945
1951--------- 946
1961--------- 941
1971--------- 930
1981--------- 934
1991--------- 927
2001-------- 933
ये आंकडे काल्पनिक नहीं जनगणना पर आधारित हैं।
कन्या भ्रूण हत्या रोकथाम हेतु कानून
कन्या भ्रूण हत्या की रोकथाम के लिए बने कानून को गर्भधारण पूर्व एवं प्रसवपूर्व निदान तकनीक लिंग चयन प्रतिषेध अधिनियम (Pre-Conceptional Pre-Natal Diagnostic Technique Act) (PCPNDT Act) कहते हैं। यह अधिनियम 1994 में बना तथा 1996 से पूरे देश में प्रभावी हुआ।
पी० सी० पी० एन० डी० टी० एक्ट के अंतर्गत समितियां
इस कानून के अंतर्गत निम्न सलाहकार समितियां काम करती हैं-
केन्द्रीय सलाहकार बोर्ड (केन्द्रीय स्तरपर)
राज्य सलाहकार बोर्ड (राज्य स्तरीय)
राज्य सलाहकार समिति (राज्य स्तरीय)
जिला सलाहकार समिति (जिला स्तरीय)
जिला सलाहकार समिति के सदस्य
जिले के समुचित प्राधिकारी (पहले सी एम् ओ हुआ करते थे अब नए संशोधन के बाद से जिलाधिकारी हुआ करेंगे) को अधिनियम से सम्बंधित सलाह आदि देने के लिए समिति में-
तीन चिकित्सा विशेषज्ञ जिनमें स्त्री रोग विशेषज्ञ, बाल रोग विशेषज्ञ, मेडिकल जेनेटिस्ट होंगे।
एक कानूनी विशेषज्ञ
एक अधिकारी सरकार के सूचना प्रसारण विभाग का प्रतिनिधि
तीन उत्कृष्ट समाजसेवी जिनमें कम से कम एक महिला अवश्य हो।
(समिति की बैठक साठ दिनों के अन्दर अवश्य हो जानी चाहिए)
पी सी पी एन डी टी एक्ट के अंतर्गत दंड का प्रावधान
भ्रूण का लिंग चयन करने के अपराध में चिकित्सक को पहली बार पकड़े जाने पर तीन साल की सजा और दस हजार रुपये का जुरमाना इसके साथ ही साथ चिकित्सक का लाइसेंस पाँच वर्ष के लिए रोक। दूसरी बार इस अपराध में लिप्त पाए जाने पर पाँच वर्ष की सजा और पचास हजार रुपये का जुरमाना साथ ही चिकित्सक का लाइसेंस हमेशा के लिए समाप्त।
लिंग चयन करने का अपराध यदि किसी महिला या पुरूष द्वारा होता है (गर्भ में पल रहे बच्चे के माता-पिता द्वारा) तो पहली बार पकड़े जाने पर पचास हजार रुपये जुरमाना तथा तीन वर्ष की कैद, यही अपराध दूसरी बार होने पर पाँच वर्ष की कैद तथा एक लाख रुपये का जुरमाना हो सकता है।
(अभी इतना शेष अगली पोस्ट में)
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