मानव-केंद्रित वैश्वीकरण के लिए एकजुट हों

देश ने जी-20 सम्मेलन का सफल आयोजन करके अपनी क्षमताओं का लोहा वैश्विक समुदाय के सामने मनवा लिया है. इस आयोजन का कारण हमारे देश को विश्व के शक्तिशाली समूह जी-20 की अध्यक्षता मिलना है. भारत ने बीस देशों के शक्तिशाली समूह जी-20 का अध्यक्षीय पद ग्रहण किया है. बाली शिखर सम्मेलन में पूर्व अध्यक्ष देश इंडोनेशिया द्वारा भारत को 1 दिसम्बर 2022 को वर्ष 2023 के लिए अध्यक्षता सौंपी गई. इस कारण दिल्ली में हो रहे इस शिखर सम्मलेन में सभी सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्ष, प्रतिनिधि सम्मिलित हुए. इसके साथ ही संयुक्त राष्ट्र महासचिव, डब्लूएचओ के डीजी, विश्व बैंक के अध्यक्ष आदि जैसे विशिष्ट मेहमान भी उपस्थित हुए. इसके अतिरिक्त प्रधानमंत्री द्वारा कुछ गैर सदस्य देशों को भी आमंत्रित किया गया. भारत की मेजबानी ने दुनिया भर से आये मेहमानों को न सिर्फ सम्मोहित किया अपितु अविस्मरणीय यादों का एक आलेख उनके हृदय में भी अंकित कर दिया. 




जी-20 अपने आपमें एक अनूठी वैश्विक संस्था है, जहाँ विकसित और विकासशील देशों का समान महत्व है. यहाँ विकासशील देश सबसे शक्तिशाली देशों के साथ अपने राजनैतिक, आर्थिक और बौद्धिक नेतृत्व को प्रदर्शित कर सकते हैं. इसी कारण से भारत का दुनिया के सबसे प्रभावशाली बहुपक्षीय समूह का नेतृत्व करना प्रत्येक नागरिक के लिए गौरव का विषय है. अपनी अध्यक्षता के साथ देश अपनी पहली वैश्विक नेतृत्वकारी भूमिका में नई नीतियों के क्रियान्वयन का मार्ग प्रशस्त करेगा. भारत कमजोर देशों की सहायता करने, विकासशील देशों की आवाज़ को मुखरित करने और उनके मुद्दों को वैश्विक स्तर पर उठाने के लिए जी-20 की प्रमुख भूमिका पर दृढ़ता से ध्यान केंद्रित करने के लिए तत्पर है. इस पर सम्मलेन के पहले दिन ही भारत की तरफ से सकारात्मक कदम उठाया गया और उसके इस कदम का सभी सदस्य देशों ने समर्थन भी किया. भारत के प्रस्ताव पर अफ्रीकन यूनियन को भी सदस्यता प्रदान कर दी गई है. इस प्रकार यह 21 सदस्यों का एक आर्थिक मंच बन गया है.




इस कार्यक्रम की थीम वसुधैव कुटुम्बकमके द्वारा यह संकेत स्पष्ट रूप से दिया गया है कि धरती ही परिवार है. सम्पूर्ण विश्व को एक परिवार की तरह माने जाने का सुखद परिणाम भी इस सम्मलेन में नजर आया. भारत के ग्लोबल साऊथ एजेंडे के साथ अफ्रीकन यूनियन को शामिल करने के साथ हुई सफल शुरुआत के बाद दूसरी बड़ी सफलता दिल्ली घोषणा पत्र पर निर्विरोध सहमति बनना रहा. इस बार न तो चीन ने कोई अवरोध पैदा किया और न ही रूस की तरफ से कोई अड़ंगा लगाया गया. दिल्ली घोषणा पत्र को लेकर एक तरह का संशय लग रहा था क्योंकि  बाली घोषणा पत्र में रूस-यूक्रेन युद्ध से जुड़े मुद्दे पर चीन और रूस ने आपत्ति दर्ज की थी. इस दिल्ली घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर के लिए चीन ने भी सहमति दी और रूस भी अपने पुराने विश्वसनीय साथी की तरह सहयोगी बना.


इस संयुक्त घोषणा पत्र में सभी देशों से क्षेत्रीय अखंडता, संप्रभुता और राजनीतिक स्वतंत्रता को बनाए रखने का आह्वान किया गया. इसके साथ ही, जैसा कि पहले से स्पष्ट था कि भारत का प्रमुख एजेंडा आतंकवाद का सफाया करना है, इस पर भी घोषणा पत्र में सहमति बनी. आतंकवाद को अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए सबसे गंभीर खतरा माना गया. इसमें आतंकवाद के सभी रूपों की निंदा की गई और आतंकवादी समूहों को सुरक्षित पनाहगाह, समर्थन, सहयोग आदि से वंचित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग बढ़ाने का भी आह्वान किया गया. ‘वन अर्थ, वन फैमली, वन फ्यूचर’ जैसी थीम को ध्यान में रखते हुए मजबूत और सतत विकास के लक्ष्यों को हासिल करने हेतु तेजी लाने के लिए हरित विकास समझौते और बहुपक्षवाद को मजबूत करने पर बल दिया गया.


यह भारत की राजनयिक सफलता ही है कि रूस-यूक्रेन की चर्चा भी हुई और अमेरिका, रूस, चीन जैसे देश उसी मंच पर इसमें सम्मिलित भी हुए. रूस-यूक्रेन युद्ध पर चर्चा होना, पहले दिन ही घोषणापत्र का निर्विरोध जारी होना दर्शाता है कि वैश्विक राजनीति, कूटनीति में भारत की साख बहुत मजबूत हुई है. भारतीय मेधा और राजनीतिक क्षमता के प्रभाव के इस दौर को वैश्विक समुदाय ने सहर्ष स्वीकार किया  है. अनेक राजनीतिक मुद्दों, मानव केंद्रित विकास, बायोफ्यूल्स, आतंकवाद उन्मूलन, सतत समावेशी विकास आदि जैसे वैश्विक मुद्दों पर भारत के प्रयासों से न केवल सहमति बनी बल्कि सभी सदस्य देशों की तरफ से सहयोग का भरोसा भी व्यक्त किया गया.





राजनयिक प्रभाव छोड़ने वाले देश ने अपनी संस्कृति, शिल्प, इतिहास को भी वैश्विक मेहमानों के सामने अलौकिक रूप में प्रदर्शित किया. अभूतपूर्व मेजबानी का भी भारत ने अनुभव कराया. भारत मंडपम का अद्भुत सौन्दर्य, राजधानी का श्रृंगार, वैभवशाली इतिहास के प्रतीक कोणार्क के चक्र का प्रदर्शन, सनातन संस्कृति के दैविक प्रतीक नटराज की विशाल अलौकिक प्रतिमा का स्थापन, नालंदा की ऐतिहासिकता की प्रतिकृति, हस्तशिल्प, श्रीअन्न आदि के द्वारा देश की दिव्यता, भव्यता का भी स्मरण किया गया. कई विदेशी मेहमानों का भारतीय परिधानों को धारण करके महामहिम द्वारा दिए गए रात्रिभोज में पहुँचना स्पष्ट करता है कि उन्होंने इस सम्मलेन में भारतीय संस्कृति के सिर्फ दर्शन ही नहीं किये हैं बल्कि उसका अनुसरण करना का, उसको आत्मसात करने का प्रयास भी किया है.  


जी-20 सम्मलेन का सफल आयोजन दर्शाता है कि देश वैश्विक ताकतों के बीच वैश्विक नेतृत्व के रूप में उभरा है. इसके अलावा अन्य कई मंचों पर भी देश ने अपनी सशक्त उपस्थिति दर्शायी है. आर्थिक क्षेत्र में वह ब्रिटेन को पीछे छोड़ कर पाँचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था बना तो संयुक्त राष्ट्रसंघ की सुरक्षा परिषद में वह अस्थायी सदस्य बना है. इसके अलावा सुरक्षा परिषद में सुधार की माँग का रूस और अमेरिका द्वारा समर्थन करने को भी देश की वैश्विक शक्ति के रूप में देखा जा सकता है. जी-20 में विश्व के वे तमाम विकसित देश शामिल हैं जिनकी वैश्विक जीडीपी में लगभग 85 प्रतिशत की भागीदारी है. ऐसे में प्रत्येक भारतीय को इसके महत्त्व को पहचानते हुए देश के बढ़ते कद को लेकर गौरवान्वित होना चाहिए. हमारे देश के सकारात्मक कार्य हम सभी के सामने हैं और इसी का सुखद परिणाम जी-20 की अध्यक्षता के रूप में मिला है. देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उल्लेख भी किया है कि हमारी आने वाली पीढ़ियों में उम्मीद जगाने के लिए हम बड़े पैमाने पर विनाश के हथियारों से पैदा होने वाले जोखिमों को कम करने और वैश्विक सुरक्षा बढ़ाने पर सर्वाधिक शक्तिशाली देशों के बीच एक ईमानदार बातचीत को प्रोत्साहन प्रदान करेंगे. आइए, हम जी-20 सम्मलेन की सफलता को संरक्षण, सद्भाव और उम्मीद की सफलता में बदलने के लिए एकजुट हों. आइए, हम मानव-केंद्रित वैश्वीकरण के एक नए प्रतिमान को स्वरूप देने के लिए साथ मिलकर काम करें.


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