जानलेवा कोरोना वायरस : लक्षण और बचाव

चीन के वुहान से फैला कोरोना वायरस आज वैश्विक संकट के रूप में सामने आया है. ऐसा अनुमान है कि अभी तक 79 देशों के 95,300 से अधिक लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके हैं. इसकी वजह से होने वाली मौतों की संख्या बढ़कर 3280 से अधिक हो गई है. चीन के बाद दक्षिण कोरियाइटली और ईरान में इसके सबसे ज़्यादा मामले मिले हैं. भारत में भी आधिकारिक तौर पर कोरोना वायरस के क़रीब 30 मामले दर्ज हो चुके हैं. इनमें से अधिकांश मामले केरलतेलंगानाउत्तर प्रदेश और दिल्ली एनसीआर में दर्ज किये गए हैं.

कोरोना वायरस कई वायरसों का एक समूह होता है. सामान्य रूप से यह वायरस बेहद आम होते हैं. इसके शुरुआती लक्षणों से इसका अंदाजा लगाया जा सकता है. इसके संक्रमण से व्यक्ति को साँस लेने में थोड़ी तकलीफ़खाँसी या फिर नाक का बहना शुरू हो जाता है. सामान्य वायरस होने के बाद भी कोरोना परिवार के कुछ वायरस बेहद ख़तरनाक़ होते हैं. इनमें सार्स (सिवियर एक्यूट रेसपिरेटरी सिंड्रोम) और मर्स (मिडल ईस्ट रेसपिरेटरी सिंड्रोम) को शामिल किया जा सकता है. चीन के वुहान से शुरू हुई इस महामारी के लिए जिम्मेदार विषाणु को नॉवेल कोरोना वायरस या nCoV का नाम दिया गया है. यह वायरस कोरोना परिवार का एक नया वायरस है, जिसकी पहचान अभी तक इंसानों में नहीं हो पाई थी.


यहाँ इस तथ्य को ध्यान में रखना होगा कि ह्यूमन कोरोना वायरस (HCoV) की पहचान पहली बार 1960 के दशक में आम सर्दी के रोगियों में हुई थी. मनुष्यों के बीच कोरोना वायरस का संक्रमण अधिकांशतः सर्दियों के महीनों में या फिर शुरुआती वसंत के दौरान होता है. कोरोना वायरस के सामान्य प्रकारों में 229E (अल्फा कोरोनावायरस), NL63 (अल्फा कोरोनावायरस), OC43 (बीटा कोरोनावायरस), HKU1 (बीटा कोरोनावायरस), MERS-CoV (मर्स कोरोनावायरस) शामिल हैं. इनमें MERS-CoV को सबसे खतरनाक और दुर्लभ माना जाता है. इससे संक्रमित व्यक्ति पहले मध्य पूर्व श्वसन सिंड्रोम (Middle East Respiratory Syndrome या MERS) से और उसके बाद गंभीर तीव्र श्वसन सिंड्रोम (Severe Acute Respiratory Syndrome या SARS-CoV) से प्रभावित हो सकता है. इससे सार्स (SARS) नामक घातक बीमारी की सम्भावना बढ़ जाती है.

मध्य पूर्व श्वसन सिंड्रोम, मर्स (MERS) वायरस का हमला पहली बार 2012 में मध्य पूर्व देशों में हुआ था. इससे श्वसन संबंधी समस्या उत्पन्न हुई थी पर इसके लक्षण बहुत अधिक गंभीर थे. मर्स (MERS) से संक्रमित हर 10 में से तीन से चार रोगियों की मृत्यु हो गई थी. गंभीर तीव्र श्वसन सिंड्रोम (Severe Acute Respiratory Syndrome या SARS-CoV) सार्स का प्रकोप नवम्बर 2002 और जुलाई 2003 के मध्य देखने को मिला था. डब्ल्यूएचओ के अनुसारदक्षिणी चीन के गुआंगडोंग प्रांत में पहली बार इसकी पहचान की गई थी. इसके परिणामस्वरूप विभिन्न देशों में 8273 लोग संक्रमित हुए और 775 लोगों की मृत्यु हो गयी थी. लंदन स्कूल ऑफ़ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसीन के डायरेक्टर प्रोफ़ेसर पीटर पियोट कहते हैं कि अच्छी ख़बर ये है कि कोरोना वायरस सार्स वायरस की तुलना में कम जानलेवा है.


कोरोना वायरस (कोवाइड-19) से पीड़ित व्यक्ति को लगातार छींक आने की समस्या होती हैजिससे पीड़ित की एक नाक से हमेशा पानी आने लगता है. संक्रमित व्यक्ति को खाँसीबुखारगले में खराशसाँस फूलने और थकान के लक्षण पाए जाते हैं. संक्रमण होने में पहले बुख़ार आता है. इसके बाद सूखी खाँसी और फिर एक हफ़्ते बाद साँस लेने में परेशानी होने लगती है. इसके बाद भी ध्यान रखा जाये कि इन लक्षणों के होने का तात्पर्य यह नहीं कि व्यक्ति कोरोना वायरस से संक्रमित है. ज़ुकाम और फ्लू में भी इसी तरह के लक्षण पाए जाते हैं, ये भी अपने आपमें वायरस हैं.

कोरोना वायरस के गंभीर मामलों में निमोनियासाँस लेने में बहुत ज़्यादा परेशानीकिडनी फ़ेल होना है. इस संक्रमण से मौत होने की आशंका भी होती है, हालाँकि ऐसा उम्रदराज़ लोगों के साथ अथवा उन लोगों के साथ ख़तरा गंभीर हो सकता है जिनको पहले से ही अस्थमामधुमेहह्रदय सम्बन्धी कोई बीमारी है.

कोरोना से मिलते-जुलते वायरस खाँसी और छींक से निकलने वाली बूँदों के माध्यम से फैलते हैं. ऐसे वायरस के संक्रमण से बचने के लिए अपने हाथ अच्छी तरह धोएं. खाँसते या छींकते वक़्त अपना मुँह ढँक लें. हाथ साफ़ नहीं हो तो आँखोंनाक और मुँह को छूने बचें.

इसके साथ-साथ यदि कोई व्यक्ति संक्रमित इलाक़े से आया है अथवा किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में रहा है तो उसे अकेले रहना चाहिए. उसे अपने घर पर ही रहना चाहिए. वह ऑफ़िसकार्यालय अथवा किसी भी सार्वजनिक जगहों पर न जाए. बसट्रेनऑटो या टैक्सी से यात्रा करने से बचे. ऐसे व्यक्तियों को अपने घर में मेहमान को आने से रोकना चाहिए.

संक्रमित व्यक्ति यदि कई लोगों के साथ रह रहा है तो उसे और ज़्यादा सतर्कता बरतने की आवश्यकता है. वह किसी अलग कमरे में रहे. संयुक्त रूप से इस्तेमाल होने वाली जगहों को नियमित रूप से साफ़ करते रहना चाहिए. लगभग 14 दिनों तक ऐसा करना चाहिए जिससे वायरस के संक्रमण का ख़तरा कम हो सके.

यहाँ एक बात और ध्यान करने वाली है कि कोरोना वायरस फैलने के सम्बन्ध में इस तरह के कोई प्रमाण नहीं मिले हैं कि यह वायरस पार्सलचिट्टियों या खाने के ज़रिए फैलता है. यह संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से बहुत जल्दी फैलता है.


वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन का कहना है कि कोरोना वायरस (Covid-19) से बचने के लिए हाथों की हाइजीन सबसे ज्यादा जरूरी है. इस वायरस से ही नहीं वरन बीमारी फैलाने वाले किसी भी तरह के कीटाणु से बचने के लिए अपने हाथों को अवश्य धोना चाहिए.

अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने साबुन और पानी से हाथों को धोने को सबसे अच्छा तरीका बताया है. उसका कहना है कि सैनिटाइजर कुछ जर्म्स को मारने में नाकाम साबित हो चुका है. ग्रीसी और धूल भरे हाथों के लिए भी सैनिटाइजर अच्छा नहीं है. अगर साबुन ना हो तो अल्कोहल वाले सैनिटाइजर का इस्तेमाल किया जा सकता है.

वायरस से बचने के लिए हाथ धोने का भी अपना अलग तरीका है. महज साबुन और पानी का इस्तेमाल ही वायरस से बचाव नहीं करवा सकता है. इसके लिए सबसे पहले अपने हाथों को पानी की टैप के नीचे गीला करें और पानी की टैप बंद कर दें. इसके बाद हाथों में साबुन अच्छे से हाथों के पीछेउंगलियों के बीच में और नाखूनों के आस-पास अच्छे से लगाएं. लगभग 20 सेकेंड के लिए हाथों को रगड़ें. साफ पानी से अपने हाथ धोएं. इसके बाद सूखे साफ कपड़े से अपने हाथों को पोछें.


हाथ धोने के अलावा चेहरे पर मास्क का लगाया जाना भी कोरोना वायरस से बचाव का एक तरीका माना जा रहा है. इस सम्बन्ध में किसी भेड़चाल की आवश्यकता नहीं है और न ही मास्क के लिए एकदम से परेशान होने की आवश्यकता है. विश्व स्वास्थय संगठन के एक अनुमान के मुताबिक़ कोरोना वायरस के प्रकोप से लड़ते हुए हेल्थ कर्मियों के लिए क़रीब 9 करोड़ मास्क7.6 करोड़ जोड़ी दस्ताने और क़रीब 16 लाख चश्मों की ज़रूरत पड़ने वाली है. संगठन के डायरेक्टर जनरल टेडरोस अधानोम ने कहा है कि अगर ज़रूरी मेडिकल संसाधनों की कमी होती है तो लोगों के इलाज में लगे डॉक्टरों और नर्सों के लिए यह लड़ाई और भी मुश्किल हो जाएगी. ऐसे में हम सभी को सावधानी से बुद्धिमत्तापूर्ण कदम उठाने की आवश्यकता है.  

मास्क के सम्बन्ध में कुछ सामान्य सी जानकारियाँ हम सभी को ध्यान में रखनी चाहिए. अगर हम स्वस्थ हैं तो किसी मास्क की जरूरत नहीं है. कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्ति की देखभाल करने वालों को मास्क पहनना अनिवार्य है. जिन लोगों को बुखारकफ या साँस लेने में तकलीफ की शिकायत है उन्हें मास्क पहनना चाहिए और तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए.

इस वायरस से बचाव का एक तरीका मास्क लगा लेना भर नहीं है. इसके पहनने के तरीके के द्वारा भी संक्रमण से बचा जा सकता है. किसी भी व्यक्ति को मास्क पर सामने से हाथ नहीं लगाना चाहिए. यदि जाने-अनजाने में हाथ लग जाए तो तुरंत हाथ धोना चाहिए. मास्क को ऐसे पहनना चाहिए कि व्यक्ति की नाकमुँह और ठोड़ी का हिस्सा उससे ढँका रहे. मास्क उतारते समय भी उसका फीता पकड़ कर निकालना चाहिएमास्क को छूना नहीं चाहिए. ये भी ध्यान में रखा जाये कि मास्क रोज बदल दिया जाना चाहिए.

इस समय कोरोना वायरस का कोई इलाज नहीं है लेकिन इसमें बीमारी के लक्षण कम होने वाली दवाइयां दी जा सकती हैं. जब तक आप ठीक न हो जाएंतब तक आप दूसरों से अलग रहें. इसमें भी सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि सी फूड के सेवन से बचना चाहिए क्योंकि कोरोना वायरस के उत्सर्जन के लिए प्रमुख स्रोत के रूप में अभी सी फूड को ही जिम्मेदार ठहराया जा रहा है.

हम सभी को इसकी जानकारी होनी चाहिए कि कोरोना वायरस जैसे वायरस शरीर के बाहर बहुत ज़्यादा समय तक ज़िंदा नहीं रह सकते. इस वायरस के अलग-अलग स्थितियों में जीवित रहने का समय भी अलग-अलग है. धातु की सतह पर यह 12 घंटे तक जीवित रहता है. कपड़े पर यह मात्र 9 घंटे जीवित रहता है. हाथों पर इसके जीवित रहने की अवधि मात्र 10 मिनट है. यह वायरस 26-27 डिग्री सेल्सियस के तापमान में जीवित नहीं रह सकता है. इसीलिए यह गर्म क्षेत्रों में नहीं रहता है. इस तरह यदि व्यक्ति अपने हाथों को पर्याप्त ढंग से धोता है, अपने कपड़ों को धोने के बाद सूरज की रौशनी में सुखाता है, व्यक्ति स्वयं भी धूप में कुछ देर बैठता है तो इस वायरस के नष्ट होने की सम्भावना बढ़ जाती है.


अभी कोरोना वायरस से बचने के लिए कोई वैक्सीन नहीं बनी है तो सावधानी ही बचाव के लिए बेहतर उपाय है. कोरोना वायरस के मामलों में धैर्य की आवश्यकता है. सावधानी की आवश्यकता है. बिना हड़बड़ी मचाए बचाव किया जाये तो इसके संक्रमण से बचा जा सकता है.
.
#हिन्दी_ब्लॉगिंग

Comments