जनता के बीच जाकर ही आन्दोलन होगा सफल

अन्ना टीम ने बैठक कर ली और जनता के बीच फिर निकलने की तैयारी है। यह अच्छा कदम है और आने वाले समय में इससे आन्दोलन को सकारात्मक दिशा मिलेगी और उन तमाम लोगों को भी जबाव मिलेगा जो कह रहे हैं कि आन्दोलन असफल हो गया है। ऐसे में अब जबकि अन्ना ने बैठक में निर्णय लेकर बिना किसी का नाम लिए चुनाव मैदान में उतरने का विचार किया है तो उनको कुछ बिन्दुओं पर भी विचार करना होगा।

1- टीम को चाहिए कि वह इस बात पर ज्यादा जोर डाले कि लोकपाल बिल पारित हो जनता को समझाया जाये कि सरकारी लोकपाल और अन्ना के लोकपाल के मध्य अन्तर क्या है। किन-किन बिन्दुओं के आधार पर अन्ना का बिल सशक्त है और किन-किन बिन्दुओं के आधार पर सरकारी बिल कमजोर है।

2- यह बात अन्ना को और उनकी टीम को भी भली-भांति ज्ञात है कि इस आन्दोलन में छोटे-छोटे कस्बों से जनता निकल कर सड़कों पर उतरी। इस आन्दोलन में ऐसे तबके के लोग भी जुड़े जो रोज अपने रात की रोटी का जुगाड़ करते थे। ऐसे लोग किसी न किसी रूप में अन्ना टीम के साथ संवाद स्थापित करने की आकांक्षा रखते हैं। अन्ना टीम को अपने आन्दोलन को इसके स्वयंभू माफियाओं के चंगुल से मुक्त करवाना ही होगा।

3- मुम्बई अनशन के बीच में स्थगित किये जाने के बाद भले ही अन्ना टीम जनता के बीच न जाकर अपनी आगे की रणनीति बनाने पर विचार कर रही हो किन्तु आज भी बहुत से जागरूक लोग ऐसे हैं जो इस आन्दोलन के मझधार में पहुंच जाने के बाद भी लोगों को भ्रष्टाचार के विरुद्ध, जनलोकपाल के पक्ष में खड़ा करने का कार्य कर रहे हैं। अन्ना टीम को ऐसे लोगों के साथ किसी न किसी रूप में अपने को जोड़ना होगा।

4- जनता अभी तक तो यही समझती रही है कि जनलोकपाल के आने से कोई ऐसी जादू की छड़ी हाथ में आ जायेगी जो घुमाते ही देश का, जनता का भ्रष्टाचार समाप्त हो जायेगा। लोकपाल के पारित करवाने पर अड़े रहने के स्थान पर वर्तमान में अन्ना टीम को लोगों के भीतर भ्रष्टाचार-विरोध का व्यावहारिक पक्ष जगाना होगा। इसके लिए चुनावों में भ्रष्टाचारियों का भंडाफोड़ करने की आवश्यकता है।

5- चुनावों में मतदान करते समय जनता इस बात को पूरी तरह से भुला देती है कि उसने अभी कुछ दिन पहले भ्रष्टाचार के विरोध में अपने आपको लगा दिया था। मतदान करते समय उसे अपने पसंद का दल, अपनी जाति-धर्म का व्यक्ति अथवा फिर उसके निहित स्वार्थ को पूरा करता हुआ व्यक्ति ही पसंद आता है। ऐसे में स्थानीय जागरूक लोगों के सहयोग से अन्ना टीम को लोगों को इस बात के लिए प्रेरित किया जाये कि वे किसी भी तरह से किसी के बहकावे में न आयें और सही, स्वच्छ छवि वाले व्यक्ति को वोट दें।

देखा जाये तो भ्रष्टाचार विरोध का यह आन्दोलन जिस उंचाई तक गया है और फिर उसमें एकाएक जिस तरह से ठहराव आया है उस ठहराव को सिर्फ और सिर्फ जनता के बीच आकर, उसके साथ संवाद स्थापित करके ही दूर किया जा सकता है। अन्ना टीम का जनता के बीच आना, उससे सीधे संवाद स्थापित करना, कुछ सकारात्मक कदमों को उठाना ही इस आन्दोलन को पुनर्जीवन देगा और चुनावों में अवश्य ही भ्रष्ट लोगों को सबक सिखायेगा।

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